The family of the martyr Gursevak was inconsolable, the wife said - many times a day calls used to come, now what should I answer to the children?

शहीद गुरसेवक का परिवार गमगीन, पत्नी बोली-दिन में कई बार फोन आते थे, अब बच्चों को क्या जवाब दूं?

शहीद गुरसेवक का परिवार गमगीन, पत्नी बोली-दिन में कई बार फोन आते थे, अब बच्चों को क्या जवाब दूं?

The family of the martyr Gursevak was inconsolable, the wife said - many times a day calls used to c

The family of the martyr Gursevak was inconsolable: अमृतसर। ‘वह फुर्सत मिलते ही हमें फोन कर लेते थे। कई बार तो एक ही दिन में उनके कई कॉल आ जाते थे। 2 दिन से एक भी फोन नहीं आया। बच्चे सारा दिन फोन देख-देखकर पूछते हैं कि पापा का फोन कब आएगा? क्या जवाब दूं उन्हें, समझ ही नहीं आ रहा।’ यह शब्द हैं 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के साथ हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए गुरसेवक सिंह की पत्नी जसप्रीत कौर के।

गुरसेवक की दोनों बेटियां और 3 साल का बेटा दो दिन से मोबाइल पर पिता के कॉल का इंतजार कर रहे हैं। वह नहीं जानते कि उनके पिता गुरसेवक सिंह दुनिया को छोडक़र चले गए हैं।

गुरसेवक पंजाब में तरनतारन जिले के खालडा एरिया के दोदे गांव के रहने वाले थे। उनका गांव भारत-पाकिस्तान इंटरनेशनल बॉर्डर के पास है। गुरसेवक आर्मी की 9 पैरा स्पेशल फोर्स यूनिट में तैनात थे और सीडीएस बिपिन रावत के सुरक्षा दस्ते के सदस्य थे।

गुरसेवक सिंह के शहीद होने की खबर मिलने के बाद से उनकी पत्नी जसप्रीत कौर सदमे में है और पति के निधन की खबर पर भरोसा नहीं कर पा रहीं। वह बार-बार अपने तीनों बच्चों से यही कहती हैं कि पापा का फोन जल्दी आ जाएगा। वह जरूरी मीटिंग में व्यस्त हैं।

कल देर शाम हादसे की जानकारी मिलने के बाद से ही जसप्रीत कौर बार-बार गुरु साहिबान के आगे हाथ जोडक़र पति की सलामती की दुआ करती रहीं। जसप्रीत कौर ने कहा, ‘7 दिसंबर को गुरसेवक का फोन नहीं आया तो मैंने उन्हें कॉल कर लिया। गुरसेवक ने बताया कि वह दिनभर व्यस्तता के चलते कॉल नहीं कर पाए। इसके बाद उन्होंने परिवार के सभी सदस्यों का हालचाल पूछा। बच्चों से बात की और पिताजी के खाने के बारे में बात की।’

गुरसेवक सिंह के पिता काबल सिंह भी बेटे की शहादत की खबर सुनकर सदमे में हैं। वह रो-रोकर बेटे को पुकारते हुए कह रहे हैं, ‘सेवका तूं कित्थै चला गया? इक बारी आवाज तां दे दे मैनूं। (सेवक तू कहां चला गया। एक बार आवाज तो दे दे मुझे।)’

काबल सिंह ने बताया कि गुरसेवक सिंह ड्यूटी पर रहते हुए भी लगभग हर रोज फोन पर उनसे बात कर लेता था। हमेशा पूछता था कि क्या कर रहे हो? खेत में जा आए या नहीं? दवाई ले ली क्या? जब उसका फोन आता तो ऐसा लगता मानो वह घर पर ही है। दो दिन से उससे बात नहीं हुई तो लग रहा है कि वो शायद नहीं रहा।

देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बिपिन रावत के साथ 8 दिसंबर को तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए हेलिकॉप्टर क्रैश में तरनतारन के नायक गुरसेवक सिंह भी शहीद हो गए। बुधवार शाम को गुरसेवक की यूनिट ने उनके भाई गुरबख्श सिंह और जसविंदर सिंह को फोन करके हेलिकॉप्टर क्रैश में उनके शहीद होने की जानकारी दी।

बुधवार रात गुरसेवक के शहीद होने की खबर आने के बावजूद परिवार ने जसप्रीत कौर और बुजुर्ग काबल सिंह को रातभर इसकी जानकारी नहीं दी। दरअसल दोनों की तबीयत खराब रहती है और उनका इलाज पास के अस्पताल से चल रहा है। गुरुवार सुबह गांव में सूचना फैली तो परिवार ने जसप्रीत कौर को गुरसेवक के शहीद होने की खबर दे दी। फिलहाल घर में मातम छाया है और पत्नी जसप्रीत कौर का रो-रोकर बुरा हाल है।

दोदे गांव के लोगों ने बताया कि गुरसेवक सिंह ने 12वीं तक की पढ़ाई खालड़ा के सरकारी स्कूल से की। 12वीं पास करते ही वह आर्मी में भर्ती हो गया। सेना में नौकरी करते हुए गुरसेवक ने पढ़ाई जारी रखी और ग्रेजुएशन की डिग्री करते ही वह प्रमोट हो गया। इस समय भी वह पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहा था। गुरसेवक के परिवार में उनकी 2 बहने और 5 भाई हैं। पूरा परिवार खेतीबाड़ी से जुड़ा है।

गुरसेवक सिंह डेढ़ महीने पहले छुट्टी पर आए थे और 14 नवंबर को ही छुट्टी काटकर वापस ड्यूटी पर गए। छुट्टियों के दौरान वह परिवार के साथ बाबा बुड्ढा साहिब भी गए थे। गुरसेवक के तीन बच्चों में से से बड़ी बेटी सिमरन 9 साल और छोटी बेटी गुरलीन 7 साल की है। बेटा फतेह सिंह सिर्फ 3 साल का है। गुरसेवक अपने बच्चों से बहुत प्यार करते थे और ड्यूटी के दौरान चाहे जितने भी थके हों, लगभग रोजाना बच्चों से फोन पर बात जरूर करते थे।